सुप्रीम कोर्ट से बोला केंद्र- सरकारी कब्जे वाले मकान से अधिकारियों को बाहर निकालने के लिए भेजे जा रहे बाउंसर, जानिए पूरा मामला

सुप्रमी कोर्ट से कहा कि नई दिल्ली के खान मार्केट में स्थित सुजान सिंह पार्क के फ्लैट्स से सरकारी अधिकारियों को बाहर निकालने के लिए दूसरे पक्ष ने बाउंसर भेजे हैं. ये मामला यूनियन ऑफ इंडिया और शोभा सिंह एंड सन्स (Union of India vs. Sri Sobha Singh and Sons) का है. सॉलिसिटर जनरल (एसजी) तुषार मेहता ने मुख्य न्यायाधीश एनवी रमना (NV Ramana) के समक्ष मामले की जानकारी दी और तत्काल लिस्टिंग की मांग की, जिसे अनुमति दी गई थी.

एसजी ने कहा, ‘वो बाहर निकालने के लिए बाउंसर भेज रहे हैं. मैं भारत सरकार की तरफ से उपस्थित हुआ हूं.’ इसपर सीजेआई रमन्ना ने कहा, ‘वह कैसे सरकारी अधिकारियों के खिलाफ बाउंसर भेज सकते हैं?’ इस पर एसजी ने कहा कि ये दुर्भाग्यपूर्ण है.’ बेंच ने कहा कि अब अगले हफ्ते मामले की सुनवाई की जाएगी. एसजी तुषार मेहता ने एक मामले में जल्द सुनवाई की मांग की है. उन्होंने सीजेआई से कहा कि खान बाजार के पास एक संपत्ति सरकार के कब्जे में है, जबकि न्यायिक आदेश दूसरे पक्ष को इसे खाली करने की अनुमति देता है, वे बाउंसर भेज रहे हैं.

दिल्ली हाई कोर्ट के फैसले के खिलाफ केंद्र

केंद्र सरकार ने जनवरी 2020 के दिल्ली हाई कोर्ट के फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट का रुख किया है. जिसमें केंद्र को प्रतिवादी शोभा सिंह एंड संस को बकाया किराए का भुगतान करने का निर्देश दिया गया था. विचाराधीन संपत्ति पर सुजान सिंह पार्क के उत्तर और दक्षिण में आवासीय फ्लैटों का कब्जा है. जो 1944 में सरकार को रियायती दरों पर किराए पर दिए गए थे. सरकार ने 1989 तक किराए का भुगतान किया था, लेकिन उसके बाद प्रतिवादी के कई उल्लंघनों के कारण मुकदमेबाजी का सिलसिला शुरू हो गया.

एविक्शन याचिका दायर की गई थी

इसके बाद 1998 में प्रतिवादी यानी दूसरे पक्ष ने एडिश्नल रेंट कंट्रोलर के समक्ष एविक्शन याचिका दाखिल की. जिसने उसी के पक्ष में फैसला सुनाया. दिल्ली हाई कोर्ट की भी अपीलें सरकार के खिलाफ ही रहीं, जिसपर अब वर्तमान में सुप्रीम कोर्ट सुनवाई कर रहा है. सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में कहा कि ग्रांट एक्ट की धारा 3 के अनुसार, अनुदान अधिनियम के प्रावधानों के अनुसार ‘अनुदान’ के रूप में किसी व्यक्ति के पक्ष में किसी भी सरकारी संपत्ति को किसी अन्य कानून/संविधि के प्रावधानों के लागू होने के दायरे से बाहर रखा जाएगा.