दिल्ली हाईकोर्ट (Delhi High Court) ने गुरुवार को चीन (China) में पढ़ रहे 140 से अधिक मेडिकल छात्रों (Medical Students) को भारत में प्रैक्टिकल ट्रेनिंग लेने की अनुमति देने वाली याचिका पर केंद्र और राष्ट्रीय चिकित्सा आयोग से जवाब मांगा है. ये सभी यात्रा प्रतिबंधों के कारण अपनी यूनिवर्सिटी नहीं लौट पाए हैं.
मुख्य न्यायाधीश डीएन पटेल और न्यायमूर्ति ज्योति सिंह की पीठ ने याचिका पर कानून और न्याय मंत्रालय, विदेश मंत्रालय, स्वास्थ्य मंत्रालय के साथ-साथ आयोग को नोटिस जारी किया है. इस मामले पर ध्यान देने की मांग करते हुए याचिका में कहा गया है कि याचिकाकर्ता छात्र हैं ना की आतंकवादी.
2020 में भारत आए छात्र अब नहीं लौट पाए वापस
147 याचिकाकर्ता जो चीन में निंगबो विश्वविद्यालय में चिकित्सा के छात्र हैं, ने अदालत को सूचित किया कि वे 2020 की शुरुआत में भारत लौट आए थे, लेकिन तब से वापस नहीं जा पाए हैं क्योंकि चीन छात्र वीजा जारी नहीं कर रहा है.
उन्होंने जोर देकर कहा कि चीन की कम से कम सितंबर तक भारतीय छात्रों को वापस लेने की कोई योजना नहीं है. वहीं भारतीय अधिकारियों ने कुछ नियमों को अधिसूचित किया है जो विदेशी विश्वविद्यालयों में पढ़ रहे भारतीय छात्रों को अपने स्वयं के विदेशी चिकित्सा संस्थान से पूरा पाठ्यक्रम, प्रशिक्षण और इंटर्नशिप/क्लर्कशिप लेने के लिए बाध्य करते हैं.
याचिका में कहा गया है कि पिछले साल नवंबर में जारी किए गए नियमों के अनुसार, उनके मेडिकल ट्रेनिंग और इंटर्नशिप का कोई भी हिस्सा भारत में या उस देश के अलावा किसी अन्य देश से करने की अनुमति नहीं है जहां से प्राइमरी मेडिकल क्वालिफिकेशन प्राप्त की गई है.
छात्रों ने जोर देकर कहा है कि भारत में उन्हें फिजिकल ट्रेनिंग/इंटर्नशिप/क्लर्कशिप करने की अनुमति नहीं देने का कोई कारण नहीं है, वो भी ऐसे मेडिकल इमरजेंसी के दौरान जब वह देश के लिए काम आ सकते हैं.
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