रायपुर, 10 फरवरी (वेदांत समाचार)। मोदी सरकार के मजदूर-किसान विरोधी केंद्रीय बजट के खिलाफ पूरे देश में सीटू व अन्य संगठनों के साथ मिलकर अखिल भारतीय किसान सभा 25 फरवरी को देशव्यापी विरोध दिवस का आयोजन करेगी। इस दिन धरना, प्रदर्शन, पुतला दहन, आम सभा आदि का आयोजन किया जाएगा। यह जानकारी छत्तीसगढ़ किसान सभा के अध्यक्ष संजय पराते व महासचिव ऋषि गुप्ता ने दी।
उन्होंने बताया कि इस वर्ष के बजट में किसानों के लिए सभी प्रमुख योजनाओं में कटौती कर दी गई है। बजट में ग्रामीण विकास के मद में आबंटन 5.59% से घटाकर 5.23% कर दिया गया है। इसका असर संपूर्ण कृषि क्षेत्र पर पड़ा है, जिसके आबंटन में एक लाख करोड़ रूपयों से अधिक की कटौती की गई है। फलस्वरूप, पिछले बजट आबंटन की तुलना में इस वर्ष मनरेगा के बजट में 25%, एफसीआई और विकेन्द्रीकृत योजना के तहत फसल खरीद के लिए आबंटन में 28%, उर्वरक सब्सिडी में 25%, मत्स्य पालन में 18% रसोई गैस सब्सिडी में 60% तथा खाद्य भंडारण के क्षेत्र में 28% की भारी कटौती की गई है।
किसान सभा नेताओं ने कहा कि धान और गेहूं की खरीदी के मद में 11000 करोड़ रुपयों की कटौती के कारण 34 लाख किसान समर्थन मूल्य प्रणाली से बाहर हो गए हैं। मनरेगा के लिए वास्तव में 2.64 लाख करोड़ रुपयों की जरूरत है, लेकिन पिछले वर्ष के 98000 करोड़ रुपयों के अत्यल्प आंबटन को और घटाकर 73000 करोड़ कर दिया गया है। इससे ग्रामीणों के बीच बेरोजगारी और बढ़ेगी। फसल बीमा योजना में भी 500 करोड़ की कटौती से खेती-किसानी का संकट और बढ़ेगा।
उन्होंने कहा कि मोदी सरकार के आर्थिक सर्वेक्षण में कृषक परिवारों की औसत मासिक आय केवल 10218 रुपये है और खेती से प्रति व्यक्ति प्रतिदिन औसत आय मात्र 27 रुपये है। यह सर्वे किसानों की आय दुगुनी करने तथा समर्थन मूल्य की व्यवस्था में सभी किसानों को शामिल करने की लफ्फाजी की पोल खोल देता है। इस बजट से आर्थिक असमानता तथा गांवों और शहरों के बीच की खाई और बढ़ेगी तथा ग्रामीणों का जीवन स्तर और नीचे गिरेगा।
उन्होंने बताया कि किसान सभा आम जनता के व्यापक तबकों को इस बजट के खिलाफ संगठित करेगी और छत्तीसगढ़ सहित पूरे देश में 25 फरवरी को विरोध कार्यवाहियां आयोजित की जाएगी।
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