सीकर, 28 दिसम्बर। राजस्थान के सीकर जिला मुख्यालय पर एक ऐसी है कि जिसने अपने इकलौते बेटे की मौत के बाद शमशान को ही अपना घर बना लिया और बीते 15 साल से श्मशान में ही रह रही है।
घर नहीं लौटी। हम बात कर रहे हैं कि राज कंवर की।
65 वर्षीय राज कंवर सीकर की रहने वाली हैं। 15 साल पहले इन्होंने अपने इकलौते बेटे इंदर की मौत हो गई थी। मां को बेटे की मौत का ऐसा सदमा लगा कि सीकर के धर्माणा मोक्षधाम में बेटे के अंतिम संस्कार के बाद से वे घर ही नहीं लौटी।
बेटे का अंतिम संस्कार करने के बाद राज कंवर ने श्मशान को ही अपना घर मान लिया। अब वह धर्माणा मोक्षधाम में अंतिम संस्कार करने आने वाले लोगों को पानी पिलाती हैं। शवों के अंतिम संस्कार के लिए लकड़ियां भी जुटाती है। इसके अलावा अन्य दिनों में पेड़-पौधों की देखभाव करती हैं।
खास बात है कि राज कंवर श्मशान के बाहर कदम नहीं रखती है। वह श्मशान के अंदर की रहती है। खाना खाती है और वहीं पर सो जाती है। राज कंवर के बेटे की एक्सीडेंट में मौत हुई थी। मीडिया से बातचीत में राज कंवर कहती हैं कि उनके बेटे का एक्सीडेंट बल्कि हत्या हुई है। बेटे को इंसाफ नहीं मिला।
3 दिसंबर 2008 को 22 वर्षीय बेटे इंद्र सिंह की मौत का राज कंवर को गहरा सदमा लगा। वह श्मशान में आने वाले लोगों से कहती भी है कि उसका बेटे यहीं पर सो रहा है। इसलिए वह श्मशान से बाहर नहीं जाती।हालांकि अंतिम संस्कार के बाद बेटे की अस्थियों को विसर्जित करने राज कंवर हरिद्वार गईं थीं।
हरिद्वार से लौटकर श्मशान घाट आ गईं। 12 दिन तक तो किसी ने कुछ नहीं कहा, लेकिन बाद में टोकने लगे कि महिलाओं का श्मशान में क्या काम? राज कंवर कहती हैं- ‘मैं कैसे उन्हें समझाती कि मेरी तो जिंदगी भर की दौलत ही श्मशान में है, उसे छोड़कर कैसे चली जाऊं? मैंने लोगों की एक नहीं सुनी, कुछ समय बाद लोगों का टोकना भी बंद हो गया। अब श्मशान ही मेरा घर है।’
बता दें कि सीकर के शिवधाम धर्माणा मोक्षधाम में रहने वाली राज कंवर मूलरूप से सीकर शहर की रहने वाली हैं। सीकर में राजश्री सिनेमा के पास इनके घर हैं। राज कंवर का पीहर मंडावा झुंझुनूं है। पति की मुंबई में मौत के बाद राज कंवर ससुराल छोड़ पीहर में रहती थी और फिर 2008 में इकलौते बेटे की मौत के बाद श्मशान में रहने लगीं।
[metaslider id="347522"]