कोरोना के साथ जीना सीखें लोग, ओमिक्रॉन कोविड-19 महामारी का अंतिम चरण, वायरस का नहीं

2019 नोवेल कोरोना वायरस (Corona Virus) हमारे बीच रहेगा और जब भी परिस्थितियां इसके प्रसार के अनुकूल होंगी तब यह हमारा पीछा करता रहेगा. ब्रिटेन सहित यूरोपीय संघ के कई देशों ने यह महसूस किया है कि हमें वायरस के साथ रहना सीखना होगा. ब्रिटेन के प्रधानमंत्री बोरिस जॉनसन (Britain PM Boris Johnson) मास्क और वैक्सीन पासपोर्ट जैसे नियमों को हटाने की बात कर रहे हैं. यूरोपीय संघ के अन्य देशों में भी ऐसा ही रहा है.

शुरुआत में ऐसी चर्चा थी कि ओमिक्रोन वेरिएंट वायरस को खत्म कर देगा. निश्चित तौर पर ऐसा मानना अवास्तविक लगता है क्योंकि वायरस ने बार-बार दिखाया है कि उसमें म्यूटेट करने की क्षमता है. चूंकि वायरस स्वयं को बदल सकता है इसलिए वह हमारे बीच बना रहेगा.

कॉमन कोल्ड के जैसा यह वायरस

उदाहरण के तौर पर एक खास कोरोना वायरस-229E है, जो एक सामान्य कॉमन कोल्ड कोरोना वायरस है. दुनिया भर में हर साल सर्दियों के दौरान यह वायरस तेजी से फैलता है और लोगों को सर्दी-जुकाम हो जाता है. आमतौर पर यह देखा गया है कि संक्रमण के बाद एक व्यक्ति लगभग दो सालों तक अपेक्षाकृत सुरक्षित रहता है. इसका मतलब यह नहीं है कि हर दो साल में एक व्यक्ति संक्रमित हो जाएगा क्योंकि कोई भी व्यक्ति हमेशा वायरस के संपर्क में नहीं आता है. लेकिन अध्ययनों से पता चलता है कि दो से चार साल में हर आदमी सर्दी के महीनों में कॉमन कोल्ड से पीड़ित हो जाता है. इसका संबंध सीधे तौर पर मौसम से है. यही कारण है कि यूरोपियन रीजन में WHO के डायरेक्टर हैंस क्लूज ने कहा है कि कुछ दिनों तक शांत रहने के बाद अक्टूबर या नवंबर से शुरू होने वाले साल के ठंडे महीनों में कोरोना के मामलों में फिर से उछाल आएगा.

अब सबको यह विश्वास हो रहा है कि SARS-CoV-2 (2019 नोवेल कोरोना वायरस) धीरे-धीरे एंडेमिक स्टेज का कोरोना वायरस बनता जा रहा है. हालांकि, कोई नहीं जानता कि क्या ‘डेल्टाक्रॉन’ फिर से फैल सकता है या कोई ओल्ड म्यूटेशन नए वेरिएंट के साथ मिल जाएगा जो ओमिक्रॉन की तरह तेजी से फैलेगा मगर उसमें डेल्टा जैसी गंभीरता नहीं होगी. इसमें सैद्धांतिक खतरे हैं. कोई भी इस वायरस के बारे में कुछ भी भविष्यवाणी नहीं कर सकता है. यह केवल लोगों के मन में अनिश्चितता और भय पैदा करने वाला है.

वायरस के साथ जीना सीखें

हम जानते हैं कि टीकाकरण ने गंभीर बीमारी को रोका है. लेकिन हम जानते हैं कि ओमिक्रॉन वायरस की लहर के दौरान वैक्सीनेटेड लोग भी अस्पताल में भर्ती हुए हैं. इसका मतलब यही है कि हमें इस वायरस के साथ जीना सीखना होगा. इसके अलावा हमें यह महसूस करना होगा कि लंबे समय तक खुद को फिट और स्वस्थ रखने के लिए हमें अपनी इम्यूनिटी बढ़ानी होगी.

हाई ब्लड प्रेशर, डायबिटीज और मोटापे जैसी बीमारियों से पीड़ित लोगों को अपना हेल्थ कंडीशन नियंत्रित रखना होगा और उसमें सुधार लाना होगा. इसके लिए उन्हें काफी प्रयास करने की आवश्यकता है. जाहिर है कि शरीर को यह सुनिश्चित करने के लिए प्रशिक्षित करना होगा कि यदि भविष्य में कभी COVID-19 का संक्रमण हो जाए तो वह उसे कॉमन कोल्ड की तरह ले. हमेशा से ऐसा माना जाता है कि अगर इम्यूनिटी ठीक है तो 7 से 10 दिनों में बीमार व्यक्ति स्वस्थ हो जाता है.

डेल्टा वेरिएंट ने हमें चौका दिया था क्योंकि यह वायरस फेफड़ों के निचले हिस्सों में तेजी से फैलता था, ऑक्सीजन लेवल कम हो जाता था और इस तरह मौतें होती थीं. ओमिक्रॉन वेरिएंट ऐसा नहीं करता है और संक्रमण फेफड़े के ऊपरी हिस्से तक ही सीमित रहता है. इसका मतलब है खांसी जैसे लक्षण और कभी-कभी ऑक्सीजन लेवल में गिरावट. लेकिन यह डेल्टा वेरिएंट जितना लोअर एयरवे सेंट्रिक नहीं है. यह हमारे लिए एक अच्छी बात है क्योंकि कम्यूनिटी स्प्रेड के बाद 2019 नोवेल कोरोना वायरस एंडेमिक स्टेज में चला जाएगा.

कह सकते हैं कि ओमिक्रॉन एक प्राकृतिक टीका है जिसे वायरस ने खुद ही म्यूटेट कर बनाया है. दुनिया में बहुत से ऐसे देश हैं जहां टीकाकरण की दर केवल 5 से 10 फीसदी के आसपास है. ऐसे देशों में ओमिक्रॉन लोगों पर टीके जैसा काम कर सकता है लेकिन हाई रिस्क वाले मरीज अस्पताल में भर्ती हो सकते हैं. जैसा कि हम जानते हैं, डेल्टा वेरिएंट की तुलना में अभी आईसीयू में भर्ती होने की और डेथ रेट बहुत कम है.

महामारी का अंत, वायरस का नहीं

अभी साफ संकेत मिल रहे हैं कि ओमिक्रॉन वेरिएंट COVID-19 महामारी के अंतिम चरण की निशानी है, न कि SARS-CoV-2 वायरस के अंत की. यह वायरस हमारे बीच रहेगा और समय-समय पर उसके लिए अनुकूल स्थिति में अपना रूप दिखाएगा. शायद कोई भी ‘सुपर स्प्रेडर’ घटना हो सकती है या हो सकता है कि ठंड के महीनों के दौरान वायरस अधिक लोगों को प्रभावित करने लगे. फ्लू के सभी लक्षण दिखने के बावजूद कोई भी सीधे अपना फ्लू टेस्ट नहीं करवाता. ठीक ऐसा ही COVID-19 के साथ होने वाला है. सीधे शब्दों में कहें तो आप COVID-19 की जांच नहीं कर सकते और हमेशा के लिए लोगों को हफ्तों तक आइसोलेट नहीं कर सकते हैं.

भारत में साल में दो बार फ्लू होता है. एक बार बरसात के मौसम में और दूसरा सर्दियों में. इसका मतलब है कि हमारे यहां किसी भी मौसम में ओमिक्रॉन जैसा प्रकोप हो सकता है. इतना कहने के बाद भी हम अभी यह नहीं जानते हैं कि एंडेमिक स्टेज या स्थानीय बीमारी का रूप लेने बाद के बाद यह वायरस दुनिया के विभिन्न हिस्सों में किस तरह व्यवहार करेगा. इतना कहने के बावजूद यह वायरस हमारे बीच रहेगा और अंततः अधिक से अधिक लोग टीकाकरण या प्राकृतिक संक्रमण के माध्यम से इसके प्रति इम्यूनिटी विकसित करने जा रहे हैं. आज हम यूरोपीय संघ की बात कर रहे हैं. जल्द ही किसी अन्य क्षेत्र में ऐसा हो सकता है. यह केवल समय और किसी खास क्षेत्र की स्थिति की बात है कि यह वायरस वहां एंडेमिक स्टेज में पहुंच सकेगा.

एक नया संस्करण?

इस बीच एक नए वेरिएंट के उभरने की बात विशुद्ध रूप से अटकलबाजी है. मानव जाति ने कभी भी इस तरह के वायरस का सामना नहीं किया है. अगर हम इन्फ्लूएंजा को देखें, तो हर 7 से 10 साल में इसमें महामारी का रूप लेने की संभावना होती है. 2019 नोवेल कोरोना वायरस की तरह इन्फ्लुएंजा भी एक RNA वायरस है. हालांकि दोनों के बीच कुछ अंतर हैं. 2019 नोवेल कोरोना वायरस की तुलना में फ्लू बहुत तेजी से म्यूटेट होता है और इसलिए यह हमेशा बना रहता है. COVID-19 ऐसा ही व्यवहार करेगा या नहीं, यह हमें देखना होगा. फिलहाल चिंता की बात यह है कि जहां टीकाकरण की दर कम है उनके बीच वायरस अधिक समय तक रहेगा और ऐसी स्थिति में एक नया वेरिएंट आ सकता है. लेकिन आमतौर पर यह ऐसा मसला नहीं जिनका हम अनुमान लगा सकें.

वैक्सीनेशन महत्वपूर्ण

संक्रमण दर बढ़ने के जो भी कारण हैं उसे देखते हुए वैक्सीनेशन बेहद महत्वपूर्ण है. हम जानते हैं कि टीके ओमिक्रॉन पर उतना अच्छा काम नहीं करते, लेकिन वे कुछ हद तक काम करते हैं और अनप्रोटेक्टेड होने से बेहतर है कुछ सुरक्षित होना. जरूरत है कि अमीर देश गरीब देशों में न्यूट्रीशन को लेकर निवेश करें. अगर गरीब देशों में लोग स्वस्थ होंगे तो वहां से दुनियाभर में नया वेरिएंट फैलने का खतरा नहीं होगा.

यह वायरस हमें मानवीय सबक सिखा रहा है. इस दुनिया में हम सब एक जैसे लोग हैं. हम इसे किसी खास देश और सीमा में बांधकर नहीं देख सकते क्योंकि वायरस के लिए ऐसी कोई भी सीमा नहीं है. एक मानव जाति के रूप में हमें स्वस्थ आदतों, जीवन शैली और आहार के साथ अन्य विकल्पों को विकसित करने की आवश्यकता है. इन बातों का ध्यान सबको रखने की आवश्यकता है. अपने पड़ोसी देशों का ख्याल रखना इस मामले में अपना ख्याल रखने जितना ही अच्छा है.

[metaslider id="122584"]
[metaslider id="347522"]