नई दिल्ली23 जनवरी (वेदांत समाचार)। भारत में गुणवत्तापूर्ण खेती को प्रोत्साहन देने के उद्देश्य से एक प्रमुख पहल करते हुए, केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय ने इस क्षेत्र के हितधारकों के लिए ड्रोन तकनीक को किफायती बनाने के दिशानिर्देश जारी किए। कृषि मशीनीकरण पर उप मिशन (एसएमएएम) के दिशा-निर्देशों में संशोधन किया गया है, जिसमें कृषि ड्रोन की लागत का 100 प्रतिशत तक या 10 लाख रुपये, जो भी कम हो, के अनुदान की कल्पना की गई थी। यह धनराशि कृषि मशीनरी प्रशिक्षण और परीक्षण संस्थानों, आईसीएआर संस्थानों, कृषि विज्ञान केंद्रों और राज्य कृषि विश्वविद्यालयों द्वारा ड्रोन की खरीद के लिए अनुदान के रूप में दी जाएगी। इसके तहत किसानों के खेतों में बड़े स्तर पर इस तकनीक का प्रदर्शन किया जाएगा।
कृषक उत्पादक संगठन (एफपीओ) किसानों के खेतों पर इसके प्रदर्शन के लिए कृषि ड्रोन की लागत का 75 फीसदी तक अनुदान पाने के लिए पात्र होंगे।
उन कार्यान्वयन एजेंसियों को 6,000 रुपये प्रति हेक्टेयर आकस्मिक व्यय उपलब्ध कराया जाएगा, जो ड्रोन खरीदने की इच्छुक नहीं हैं लेकिन कस्टम हायरिंग सेंटर्स, हाई-टेक हब्स, ड्रोन मैन्युफैक्चरर्स और स्टार्ट-अप्स से किराये पर लेना चाहते हैं। उन कार्यान्वयन एजेंसियों के लिए आकस्मिक व्यय 3,000 रुपये प्रति हेक्टेयर तक सीमित रहेगा, जो ड्रोन के प्रदर्शन के लिए ड्रोन खरीदना चाहते हैं। वित्तीय सहायता और अनुदान 31 मार्च, 2023 तक उपलब्ध होगा।
ड्रोन के उपयोग के माध्यम से कृषि सेवाएं उपलब्ध कराने के क्रम में, मौजूदा कस्टम हायरिंग सेंटर्स द्वारा ड्रोन और उससे जुड़े सामानों की 40 प्रतिशत मूल लागत या 4 लाख रुपये, जो भी कम हो, वित्तीय सहायता के रूप में उपलब्ध कराए जाएंगे। कस्टम हायरिंग सेंटर्स की स्थापना किसान सहकारी समितियों, एफपीओ और ग्रामीण उद्यमियों द्वारा की जाती है। वहीं एसएमएएम, आरकेवीवाई या अन्य योजनाओं से वित्तीय सहायता के साथ किसान सहकारी समितियों, एफपीओ और ग्रामीण उद्यमियों द्वारा स्थापित किए जाने वाले नए सीएचसी या हाई-टेक हब्स की परियोजनाओं में ड्रोन को भी अन्य कृषि मशीनों के साथ एक मशीन के रूप में शामिल किया जा सकता है।
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