मड़वा के घटना की हो न्यायिक जांच हो-भाजपा

जांजगीर-चांपा 19 (वेदांत समाचार)। अटल बिहारी ताप विद्युतगृह मड़वा तेंदूभांठा में 2 जनवरी को हुए घटनाक्रम को भाजपा ने दुर्भाग्य पूर्ण बताते हुए कहाकि इस घटना पर राज्य में सत्तासीन पार्टी कांग्रेस व पार्टी के स्थानीय नेताओं की चुप्पी समझ से परे है। मड़वा प्रकरण की न्यायिक जांच होनी चाहिए। ये बातें सांसद गुहाराम अजगल्ले, विधायक एवं भाजपा प्रदेश महामंत्री नारायण चंदेल, अकलतरा विधायक सौरभ सिंह और भाजपा जिलाध्यक्ष कृष्णकात चंद्रा ने संयुक्त पत्रवार्ता में कही।

सांसद गुहाराम अजगले ने कहा कि जिला प्रशासन की भूमिका इस संपूर्ण घटनाक्रम में भूविस्थापितों के प्रति सही नही रहा। घटना के बाद स्थति को सुलझाने के बजाए जिला प्रशासन उलझाा रहा है प्रशासन को अभी भी निर्दोषों को कोई सजा ना हो इसबात के लिए बीच का रास्ता निकालने का प्रयास करना चाहिए। उन्होंने कहा कि सरकार की ओर से या विभाग के वरिष्ठ अधिकारियों की ओर से इस आंदोलनरत कर्मचारियों को वार्ता के लिये नहीं बुलाया गया। यदि समय रहते वार्ता हो जाती हो मड़वा की दुर्भाग्य पूर्ण घटना नहीं होती। विधायक नारायण चंदेल ने कहा कि 28 दिनों से आंदोलन कर रहे भूविस्थापित संविदा कर्मियों की मांगों पर किसी तरह का निर्णय नहीं लिया गया और उन्हे उकसाया गया। उन्होंने पूरे मामले के न्यायिक जांच की मांग की है। उन्होंने कहा कि राज्य की कांग्रेस सरकार ने अपने चुनावी घोषणा पत्र में संविदाकर्मियों के नियमितीकरण का वादा किया था उसे निभाना चाहिए। क्षेत्र में स्थापित प्लांटों में कितने लोगों को नौकरी दी गई है कितना सीएसआर का फंड स्थानीय स्तर पर खर्च किया जाता है इस पर सरकार को श्वेत पत्र जारी करना चाहिए। जिला प्रशासन को भी सीएसआरमद के खर्च का ब्यौरा देना चाहिए। यहां से अगर जानकारी नहीं मिली तो विधानसभा में भी इस मुद्दे को उठाया जाएगा।

अकलतरा विधायक सौरभ सिंह ने कहा कि अटल बिहारी ताप विद्युतगृह मड़वा तेंदूभांठा के भूविस्थापितों को दूसरे जिलों में लाईन परिचारक के रूप में भर्ती दी गई है जबकि उसी पद पर नियमित भर्ती के लिए प्रक्रिया शुरू कर दी गई थी जिसकी वजह से भूविस्थापित संविदा कर्मी आंदोलन को मजबूर हुए क्योंकि उन्हें संविदा से निकाले जाने की आशंका थी। इस तरह शासन ने ही उन्हें आंदोलन के लिए मजबूर किया है। इस घटना के लिए सरकार ही दोषी है।


विधायक चंदेल ने कहाकि मड़वा के आंदोलनकारी कोई आदतन अपराधी नहीं है। अपने बीच के ही लोग हैं। पुलिस को जो वास्तविक दोषी हैं उन्हीं के खिलाफ अपराध दर्ज करना था। निर्दोष लोगों के खिलाफ हत्या का प्रयास और डकैती जैसे गंभीर अपराध उनके खिलाफ दर्ज किया गया है। सरकार निर्दोष लोगों के खिलाफ दर्ज एफआईआर को वापस ले। किसी भी स्थिति में निर्दोष लोगों के खिलाफ कार्रवाई नहीं होनी चाहिए।