हिंदी दुनिया में चौथी सबसे ज्यादा बोली जाने वाली भाषा है। इस क्रम में पहले नंबर पर अंग्रेजी भाषा, दूसरे नंबर पर मंदारिन और तीसरे नंबर पर स्पैनिश है। विश्व में हिन्दी का विकास करने और एक इंटरनेशनल लैंगवेज के तौर पर इसकी पहचान बनाने के मकसद से विश्व हिन्दी दिवस की शुरुआत की गई थी।
‘विश्व हिंदी दिवस’ का इतिहास
विश्व हिंदी सम्मेलन की संकल्पना राष्ट्रभाषा प्रचार समिति, वर्धा द्वारा की गई थी। राष्ट्रभाषा प्रचार समिति, वर्धा के ही तत्वाधान में तीन-दिवसीय प्रथम विश्व हिंदी सम्मेलन चूंकि 10 जनवरी 1975 को नागपुर में आयोजित किया गया इसलिए आगे चलकर प्रतिवर्ष विश्व हिंदी दिवस मनाने के लिए 10 जनवरी की तिथि सुनिश्चित कर दी गई। पहली बार 10 जनवरी 2006 को पूर्व प्रधानमंत्री डॉ मनमोहन सिंह द्वारा विश्व हिंदी दिवस का आयोजन किया गया।
‘विश्व हिंदी दिवस’ मनाने का उद्देश्य
हिंदी संयुक्त राष्ट्र संघ में प्रवेश पाकर विश्वभाषा के रूप में समस्त मानवजाति की सेवा की ओर अग्रसर हो। साथ ही यह किस प्रकार भारतीय संस्कृति का मूलमंत्र वसुधैव कुटुंबकम विश्व के समक्ष प्रस्तुत करके एक विश्व एक मानव-परिवार की भावना का संचार करे।
विश्व हिंदी सम्मेलनों की भूमिका
पहला विश्व हिंदी सम्मेलन 1975 में नागपुर में हुआ।
दूसरा सम्मेलन 1976 में मॉरिशस में हुआ था।
फिर सात वर्ष के अंतराल के बाद 1983 में तीसरा विश्व हिंदी सम्मेलन नई दिल्ली में आयोजित हुआ।
चौथा इसके 10 साल बाद 1993 में पुनः मॉरिशस में हुआ।
5वां 1996 में त्रिनिदाद में हुआ था।
छठा 1999 में लंदन में,
सातवां 2003 में सूरीनाम में आयोजित हुआ।
8वां 2007 न्यूयॉर्क में।
9वां 2012 में जोहान्सबर्ग में हुआ।
10वां 2015 में भोपाल में हुआ।
11वां हिंदी सम्मेलन 2018 में मॉरिशस में हुआ था।
विश्व हिंदी दिवस और हिंदी दिवस के बीच अंतर
राष्ट्रीय हिंदी दिवस हर साल 14 सितंबर को मनाया जाता है। 14 सिंतबर 1949 में संघ की विधानसभा ने हिंदी भाषा को अपनाया। जिसे देवनागरी लिपि में संघ की आधिकारिक भाषा के रूप में लिखा गया था। जबकि विश्व हिंदी दिवस का फोकस वैश्विक स्तर पर भाषा को बढ़ावा देना है।
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