केमिकल टैंकर से गैस लीक मामले में 4 आरोपी गिरफ्तार, 6 मजदूरों की हुई थी मौत

गुजरात की आर्थिक राजधानी सूरत में गुरुवार को एक फैक्टरी के पास खड़े रसायन से भरे टैंकर (Chemical tanker leaks in Surat) से कथित तौर पर निकले जहरीले धुएं की चपेट में आने से कारखाने के 6 मजदूरों की मौत हो गई और करीब 22 अन्य अस्पताल में भर्ती हैं. पुलिस अधिकारी ने शनिवार को बताया कि पुलिस ने रासायनिक कचरे के अवैध रूप से निपटारे समेत गैर इरादतन हत्या और विभिन्न आरोपों के तहत 4 लोगों को गिरफ्तार किया है. बता दें कि सूरत नगर निगम (एसएमसी) के दमकल अधिकारी ने बताया कि हादसे के समय मजदूर औद्योगिक क्षेत्र स्थित रंगाई कारखाने में सो रहे थे.

दरअसल, सूरत जिले में बीते 6 जनवरी को एक कारखाना के पास रखे रासायनिक टैंकर से रिसे जहरीले धुएं के कारण छह मजदूरों की मौत हो गई और 22 अन्य को अस्पताल में भर्ती कराया गया था. वहीं, ये घटना सचिन औद्योगिक क्षेत्र में हुई थी और घटना के वक्त मजदूर वहां स्थित रंगाई के कारखाने में सो रहे थे. जहां क्राइम ब्रांच के एक अधिकारी ने बताया कि शुक्रवार को गिरफ्तार किए गए 4 लोगों में 2 ट्रांसपोर्टर, 1 बैंक कर्मचारी और 1 गैराज मालिक शामिल हैं. उन्होंने बताया कि सूरत क्राइम ब्रांच ने वडोदरा और भरूच की पुलिस की मदद से आरोपियों को गिरफ्तार किया है.

सभी आरोपियों की हुई शिनाख्त

वहीं, क्राइम ब्रांच के अधिकारी ने बताया कि ट्रांसपोर्टर और 1 कंपनी में सहयोगी आशीष गुप्ता ने औद्योगिक रासायनिक कचरे को निपटारे के लिए 2 अन्य व्यक्तियों जयप्रताप तोमर और यादव नामक अन्य व्यक्ति को आपूर्ति की थी. उन्होंने कहा कि एक अन्य व्यक्ति की पहचान प्रेमसागर गुप्ता के रूप में हुई है, जोकि सचिन जीआईडीसी क्षेत्र में रखे टैंकर में तोमर और यादव के साथ था. पुलिस अधिकारी ने बताया कि तोमर एक वित्तीय बैंक के लोन विभाग (Loan Department) में काम करता है, जबकि यादव गैराज चलाता है.

पुलिस ने आरोपियों के खिलाफ संगीन धाराओं में FIR दर्ज की

बता दें कि सचिन जीआईडीसी पुलिस थाना में पुलिस ने अज्ञात व्यक्तियों के खिलाफ भारतीय दंड संहिता (IPC) की धारा 304 (गैर इरादतन हत्या के लिए दंड), लापरवाही से किए गए कृत्य के कारण मानव जीवन को खतरे में डालना (336, 337, और 338), दूषित, जहरीली चीजों का इस्तेमाल (284), जानबूझ कर किसी सार्वजनिक जलाशय को दूषित करना (277), वातावरण को स्वास्थ्य के लिए हानिकारक बनाना (278), आपराधिक साजिश (120) (बी) और पर्यावरण (संरक्षण) अधिनियम, 1986 की संबंधित धाराओं के तहत FIR दर्ज कर ली गई है.

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