थाने में बोली; पति पागल हैं साथ नहीं रह सकती, बेटे से मतलब नहीं, अब प्रेमी के साथ रहूंगी

सेंदड़ा (पाली) 31 दिसम्बर (वेदांत समाचार)। जिस बेटे को अपने कोख से जन्म दिया ओर जिस पति के साथ सात जन्म साथ निभाने का वादा कर कुछ साल पहले हमसफर बनी। उसी महिला का दूसरा रूप देखने को मिला। जब अचानक पति मानसिक रूप से विमंदित हुआ तों 5 साल के बेटे ओर पति को छोड़ प्रेमी के साथ फरार हो गई। पति की ओर से सेंदड़ा थाने में रिपोर्ट दी गई। पुलिस उसे दस्तयाब कर लाई। जहां विवाहिता बोली कि मेरा पति पागल हैं अब इसके साथ नहीं रह सकती।

थाने में अपने 5 साल के अपने बेटे को रोता देख कर भी महिला का दिल नहीं पसीजा। बोली बेटे से अब कोई मतलब नहीं। साथ नहीं ले जा सकती कोई भी रखें। विवाहिता के इस बयान के बाद पुलिस ने उसे छोड़ दिया। लेकिन महिला मुशिबत के समय पति व पांच साल के बेटे को छोड़ प्रेमी का हाथ थामने की घटना को जिसने भी सूना। उसने महिला के इस कदम को गलत बताया।

विमंदित विजयसिंह की मां चूल्हे पर खाना बनाते हुए।

विमंदित विजयसिंह की मां चूल्हे पर खाना बनाते हुए।

सेंदड़ा क्षेत्र के रातडिया गांवदस्थित बिगड़ातियों का बाडिया निवासी विजयसिंह की शादी करीब सात साल पहले पड़ोस के गांव की रहने वाली रुकमा से धूमधाम से हुई थी। शादी के बाद कुछ सालों तक सब कुछ ठीक चल रहा था। उन्हें एक प्यारा से बच्चा भी हुआ। जिसका नाम उन्होंने मनीष रखा। लेकिन तीन साल पहले विजयसिंह की स्थिति अचानक खराब हो गई। वह मानसिक से विमंदित हो गया। उसका इलाज अजमेर स्थित जवाहरलाल नेहरू हॉस्पिटल में चल रहा था। लेकिन पति की सेवा कर मानो रूकमादेवी परेशान हो गई। मुशबित के इस समय में वह 25 दिसम्बर 2021 की रात को बिना वह घर से निकल गई।

थाने में कहां पति पागल नहीं रह सकती साथ
सेंदड़ा थाने में विवाहिता के ससुर किशन सिंह ने गुमशुदगी दर्ज कराई। पुलिस उसे दस्तयाब कर लाई। जहां उसने अपने बयान दिए। जिसमें कहां कि पति पागल हैं, अब साथ नहीं रह सकती, प्रेमी के साथ रहूंगी। पांच साल के बेटे मनीष को रोते देख कहां कि बेटे का साथ नहीं ले जा सकती।

बूढ़े कंधों पर आया जिम्मेदारियों का बोझ
रूकमादेवी के प्रेमी के साथ घर बसाने के फैसले के बाद पांच साल के मासूम मनीष एवं विमंदित बेटे की देखभाल की जिम्मेदारी बूढ़े किशनसिंह के कंधों पर आ गई। विमंदित बेटे व मासूम पोते को संभालने से लेकर घर चलाने की जिम्मेदार भी बूढ़े किशनसिंह के कंधों पर आ गई।