रायपुर। केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण के साथ हो रही राज्यों के वित्त मंत्रियों की बैठक में मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने आर्थिक मुद्दे उठाए हैं। केंद्रीय वित्त मंत्री के सामने सुझाव रखते हुए मुख्यमंत्री ने कहा, नक्सल समस्या के उन्मूलन के लिए राज्य में तैनात केन्द्रीय सुरक्षा बलों पर लगभग 15 हजार करोड़ रुपए व्यय हुए हैं। इस राशि की प्रतिपूर्ति के लिए आगामी केंद्रीय बजट में विशिष्ट प्रावधान किया जाए।
मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने जीएसटी क्षतिपूर्ति अनुदान को जून 2022 के बाद भी अगले 5 वर्षों तक जारी रखने की मांग की है। उन्होंने कहा, कोयला उत्खनन कंपनियों से ली गई 4 हजार 140 करोड़ रुपयों की राशि शीघ्र छत्तीसगढ़ को अंतरित की जाए। उन्होंने केंद्रीय करों में छत्तीसगढ़ के हिस्से की लंबित राशि को भी शीघ्र लौटाने का अनुरोध किया।
उन्होंने कहा, पेट्रोल-डीजल पर केंद्रीय उत्पाद कर में कटौती के स्थान पर केंद्र द्वारा अधिरोपित उपकरों में कमी की जाए जिससे राज्यों को राजस्व का नुकसान न हो। वर्ष 2022-23 के बजट में अनुसूचित वर्गों के कल्याण के लिए वित्तीय संसाधनों की उपलब्धता सुनिश्चित करने के लिए ठोस स्थायी व्यवस्था की जाए। उन्होंने आगामी केंद्रीय बजट में प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना में आबंटन से संधारण व्यय करने की अनुमति का प्रावधान भी करने का आग्रह किया। मुख्यमंत्री ने रायपुर में इंटरनेशनल कार्गो टर्मिनल प्रारंभ करने के लिए आगामी बजट में प्रावधान करने की मांग की। वहीं स्थल से घिरे हुए राज्यों को अन्तर्देशीय परिवहन अनुदान देने की मांग उठाई। केंद्रीय वित्त मंत्री की यह बैठक 2022-23 के केंद्रीय बजट की पूर्व कवायद का हिस्सा है। इसके जरिए राज्य सरकार अपनी मांग रख रही हैं। यह बैठक नई दिल्ली में हो रही है।
धान की भी बात हुई
मुख्यमंत्री ने इस दौरान धान का भी मुद्दा उठाया। उन्होंने वर्ष 2021-22 में कम से कम 23 लाख मीट्रिक टन उसना चावल केंद्रीय पुल में लेने का आग्रह किया। उन्होंने कहा, FCI को इसका लक्ष्य दिया जाए। मुख्यमंत्री ने राज्य में उपलब्ध अतिशेष धान से एथेनॉल बनाने की अनुमति भी शीघ्र देने की मांग की।
योजनाओं में केंद्र की हिस्सेदारी बढ़ाने का आग्रह
मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने विभिन्न योजनाओं में केंद्र सरकार की हिस्सेदारी बढ़ाने का भी आग्रह किया। कहा, प्रधानमंत्री आवास योजना ग्रामीण में केन्द्र का हिस्सा 90 प्रतिशत और राज्य का हिस्सा 10 प्रतिशत किया जाएगा। ऐसा होने से राज्यों पर इसका अत्यधिक वित्तीय भार नहीं पड़ेगा। उन्होंने जल-जीवन मिशन में केन्द्रांश एवं राज्यांश का अनुपात 50ः50 के स्थान पर 75ः25 करने का भी आग्रह किया।
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