Vedant Samachar

माझी जनजाति की अनोखी परंपरा: कीचड़ में लोटकर किया बरातियों का स्वागत

Lalima Shukla
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छत्तीसगढ़ के सरगुजा जिले के मैनपाट में माझी जनजाति के लोगों ने होली पर्व के मौके पर एक अनोखी परंपरा का प्रदर्शन किया। बरातियों का स्वागत करने के लिए उन्होंने कीचड़ में लोटकर नृत्य किया और गोत्र के अनुसार परंपरा का निर्वहन किया।

माझी जनजाति के लोगों के गोत्र पशु, पक्षियों के नाम पर होते हैं, जैसे कि भैंसा, मछली, नाग, सुगा (तोता) आदि। विवाह में परंपरा का निर्वहन करने के लिए वे गोत्र के अनुसार वेशभूषा और नृत्य करते हैं।

इस परंपरा के पीछे एक मान्यता यह है कि आपस में वे घुल मिल जाते हैं और संबंधों में प्रगाढ़ता आती है। माझी जनजाति के लोग प्रकृति से जुड़े हुए हैं और अपने तीज त्यौहारों और उत्सवों में गोत्र के अनुरूप ही प्रतिरूप बनकर आयोजन का आनंद उठाते हैं।

यह परंपरा वर्षों पुरानी है और माझी जनजाति के लोग इसे बड़े ही उत्साह और जोश के साथ मनाते हैं। इस परंपरा का उद्देश्य अपने गोत्र के नाम को आगे लेकर जाना है और वर्तमान पीढ़ी को वर्षों पुरानी परंपरा से अवगत कराना भी है।

इस अवसर पर माझी जनजाति के लोगों ने अपने पारंपरिक वाद्य यंत्रों के साथ नृत्य किया और बरातियों का स्वागत किया। यह परंपरा माझी जनजाति की संस्कृति और परंपरा का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है और इसे आगे आने वाली पीढ़ियों तक पहुंचाने का प्रयास किया जा रहा है।

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