राजस्थान सरकार की परसा और केते विस्तार परियोजनाओं के समर्थन में स्थानीय लोग की रायपुर में प्रदर्शन की तैयारी

रायपुर । परसा कोल परियोजना को शुरू कराने ग्राम फतेहपुर,घाटबर्रा,साल्हि,तारा, हरिहरपुर तथा आसपास के कुल दर्जनों ग्रामों के 200 से अधिक ग्रामीणों ने परियोजना के विरोधियों के खिलाफ जमकर नारे लगाए। ग्राम फतेहपुर में इकट्ठे होकर इन ग्रामीणों ने बताया,कि जमीन अधिग्रहण के प्रथम चरण में आने वाले ग्रामीणों को मुआवजा भी मिल गया हैं और युवाओं को नौकरी भी कोयला खदान में मिली है जबकि द्वितीय चरण के भूमि अधिग्रहण में कुछ बाहरी लोग अपने स्वार्थ सिद्धि हेतु हमारे ग्राम के कुछ लोगो को भ्रमित कर पुरे ब्लॉक को बंद कराने का प्रयास कर रहे हैं।

उन्होंने खदानों के तथाकथित NGO द्वारा राजस्थान के मुख्यमंत्री का आज पुतला जलाने के कार्यक्रम का पुरजोर विरोध किया जिसके चलते फतेहपुर में वह अपना प्रदर्शन कर नहीं पाए। ज्ञात हो कि तथाकथित एन जी ओ के एक सदस्य बालसाया कोर्राम पर फ़र्ज़ी तरीके से शासकीय जमीन का पट्टा बनाकर करोडो की धांधली करने के मुकद्दमे का भी मुद्दा भी उठाया गया | यह वही तत्व है जिसने एक समय पर वन अधिकार नियम के नाम पर गफला करके राजस्थान सरकार से मुआवजेके नाम पर करोडो रुपये का कांड किया था। और आज वह राजस्थान सरकारके प्रोजेक्ट के सामने नेतागिरी कर रहे है। इस मुद्दे पर भी पर लोग प्रशासन से कार्यवाही की भी मांग की।

ग्रामीणों ने चेतावनी दी है कि अगर इस पर शीघ्र कार्यवाही नहीं होती है तो वह राजधानी रायपुर पहुंचकर अपने अधिकारपूर्ण मांगो को पूरी करने के लिए उग्र आंदोलन करेंगे। स्थानीय लोगो ने छत्तीसगढ़ के राज्यपाल और मुख्यमंत्री को जल्द से जल्द दोनों खदानें चालू करने की अपनी मांग से अवगत किया है। केंद्र सरकार द्वारा राजस्थान सरकार को 2015 में दी गयी खदाने शुरू न होने के कारण राजस्थान की जनता को महँगी बिजली खरीदनी पड रही है और दूसरी तरफ छत्तीसगढ़ सरकार को करोडो रुपये के राजस्व का नुकसान हो रहा है।
उल्लेखनीय है, कि छत्तीसगढ़ भारत मे सबसे ज्यादा 150 मिलियन टन कोयला का उत्पादन करता है पर कुछ लोगो को सिर्फ उनके क्षेत्र की यही दो खदानों के विरोधमें है। ग्रामीणो का कहना है की बाहरी तत्व कभी भी कोल इंडिया या कोई और कोयला कंपनी का कभी विरोध नहीं किया है तो फिर राजस्थान के लोगो को सस्ती बिजली से वंचित रखने के पीछे उनकी क्या मनशा है उसे खुलासा क्यों नहीं करते ?

स्थानिक ग्रामीणों ने बाहरी तत्वों के सामने अपना विरोध जताते हुए कहा कि ये लोग सक्रियतावाद के नाम पर हमारे ग्रामों में बाहरी लोगो को लाकर में परियोजना के विरोध में सभाएं भी कर रहे है। अतः ग्रामीणों ने उनके ग्राम में प्रवेश हेतु प्रबंधात्मक कार्यवाही करने का भी अनुरोध स्थानीय शासन से किया गया था। जिसमें जिला प्रशासन द्वारा अभी तक कोई भी कार्यवाई नहीं की गयी है।

ग्रामीणों ने यह भी कहा की जिस प्रकार से बाहरी तत्त्व हमारे ग्राम के कोयला परियोजनाओं का विरोध कर उसे बंद कराने के लिए5 अलग-अलग दलील जिसमें कभी वे हाथियों तो कभी आदिवासी तो कहीं अन्य जंगली जानवरों एवं पर्यावरण के हानि पहुँचाने की बात करते हैं इससे हम सभी स्थानिक निवासी काफी परेशानियों का सामना कर रहे हैं क्यूंकि इससे इस कोरोना काल में दूर अंचलों से लोग गांव में विचरण करने लगे हैं जो की हमारी स्वास्थ सुरक्षा के साथ बड़ा खिलवाड़ शाबित हो रहा है।

स्थानिकों का कहना है कि परियोजना के पूर्व में हमारे ग्राम के युवाओं को नौकरी या काम की तलाश में गांव छोड़कर दूसरे शहर में जाना पड़ता था। बाहर काम के करने के बावजूद भी बड़े शहरों के खर्चे में हम अपना जीवन यापन तथा ग्राम में अपने परिवार को पैसे भी नहीं भेज पाते थे। किन्तु इस कोल परियोजना के हमारे ग्राम में शुरू होने से अब हमें अपने ही ग्राम में ही नौकरी तथा रोज़गार के विभिन्न साधन उपलब्ध होने से उनके जीवन यापन में बहुत ही सुधार हो गया है। जहां एक ओर परियोजना के प्रथम चरण के आश्रित ग्रामीणों को मुआवजा तथा नौकरी मिली है इससे उनके जीवन यापन में गजब का सुधार देखने को मिला है। अब वहीं हम परियोजना के द्वितीय चरण के ग्रामों के सभी ग्राम वाशियों की माली हालत कोरोना के प्रभाव से काफी दयनीय हो गयी है परियोजना के शुरू होने की पूरी उम्मीद में अपने अपने जमीनों का अधिग्रहण और मुआवजे का इंतजार कर रहे है जिससे हमारी माली हालत के साथ साथ हमारे ग्राम में विकास की योजनाएं जैसे बच्चों को उच्च गुणवत्ता के स्कूल,रोजगार संवर्धन, तथा ग्रामीण संरचना विकास भी संभव हो सके।

अतः उपरोक्त ग्रामों के सभी ग्राम वासी आप से अनुरोध करते हैं कि व्यथित सभी कारणों को संज्ञान में लेते हुए परसा कोल् परियोजना को स्वीकृत कर भूमि अधिग्रहण की प्रक्रिया त्वरित शुरू करने की अपील की है।