मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट कोरबा ने सुनाया फैसला, मामला भाजपा नेता के पुत्र से जुड़ा होने के कारण हो गया था हाई प्रोफाइल
कोरबा,02 मई 2025(वेदांत समाचार)। जिले के देवरमाल गांव में कूटरचित दस्तावेज तैयार कर जमीन की खरीदी-बिक्री व रजिस्ट्री कराए जाने के मामले में कोरबा न्यायालय ने सह अभियुक्त रंगलाल नामदेव समेत 8 लोगों को दोषमुक्त कर दिया है। मामला भाजपा नेता के पुत्र से जुड़े होने के कारण हाई प्रोफाइल हो गया था।
जानकारी के अनुसार देवरमाल निवासी पुरुषोत्तम लाल पटेल पिता सुनऊराम पटेल ने जिलाधीश कोरबा से शिकायत की थी कि ग्राम देवरमाल स्थित भूमि खसरा नं. 46/1, 46/2, 63/2, 222/2, 222/1, 223, 300/2, 300/3, 554, 219/2, 220/1 शा.नं. 593, 670 रकबा क्रमश: 0.08, 0.07, 0.10, 0.13, 0.12, 0.25, 0.27, 0.32, 0.85, 0.10, 0.72 योग ख.नं.11, रकबा 3.01 एकड़ कृषि भूमि उनके नाम पर अभिलेख में दर्ज है। उक्त भूमि स्वयं की खरीदी गई भूमि है। अन्य कोई हिस्सेदार नहीं है। उक्त भूमि को भाजपा नेता पांडेय द्वारा जालसाजी एवं धोखाधड़ी करके अपने पुत्र के नाम पर 26 अप्रैल 2012 को फर्जी रजिस्ट्री बैनामा कराया गया है जिसमें ग्राम के बी-1 वर्ष 2000-01 के खाता क्रमांक 99 में छेड़छाड़ करके रामेश्वर, सरजू पिता सुनऊ राम का नाम फर्जी रूप से हिस्सेदार के रूप में जोड़ दिया गया है। बाद में सुनियोजित तरीके से रामेश्वर, सरजू पिता सुनऊ राम का फौती कटवाकर रामेश्वर के वारिशानों के रूप में विजय कुमार, संजय कुमार, संगीता बाई पिता रामेश्वर, शांति बाई बेवा रामेश्वर, सरजू के वारिशान कृष्ण कुमार के नाम से दर्ज करा दिया गया है। भूमि को रजिस्ट्री कराने फर्जी रिपोर्ट 22 कॉलम तैयार कराया गया है। पटवारी रिपोर्ट में गवाह के रूप में दर्ज गवाह बसंती बाई पति झूलसाय पटेल एवं रंगलाल पिता थानूराम नामदेव जमीन दलाल है। पुरुषोत्तम पटेल द्वारा की गई इस शिकायत की जांच के लिए तत्कालीन कलेक्टरने राजस्व विभाग की टीम गठित की, जिसमें एसडीएम कोरबा, तहसीलदार कोरबा, आरआई कोरबा, पटवारी लखेश्वर किरण, विजय कुमार सारथी एवं प्रेमलाल विंध्यराज को शामिल किया था। कलेक्टर द्वारा गठित इस समिति ने जांच उपरांत अपनी रिपोर्ट दी जिसमें कहा गया कि शिकायतकर्ता खातेदार का नाम पुरुषोत्तम पटेल के मूल खाता क्रमांक 99 ग्राम देवरमाल के कुल खसरा नं.8, रकबा 3.01 एकड़ भूमि स्वामी हक पर दर्ज है। जिसे एक सोची समझी साजिश के तहत पहले तो कूटरचना करते हुए मूल खाता में विक्रेता के पिता का नाम बिना किसी वैधानिक आधार के जोड़वाया गया।
इसी कड़ी में रामेश्वर एवं सरजू पिता सुनऊ राम का नाम जोड़ा गया। बाद में इस झूठी इंद्राज के आधार पर जोड़े गए खातेदार के मृत्यु पश्चात् वर्तमान सह खातेदारों का नाम जोड़ा गया। इस प्रकार इस खाते में सिलसिलेवार अवैधानिक तरीके से इन सह खातेदार लोगों का नाम जोड़ा गया, तत्पश्चात् वर्ष 2011-12 में विक्रेता विजय कुमार पिता रामेश्वर, शांति बाई द्वारा रजिस्ट्री तत्कालीन उप पंजीयक के द्वारा पटवारी कार्यालय से जारी 22 कॉलम की रिपोर्ट में छेड़छाड़ कर क्रेता से मिलकर मूल खातेदार की सहमति के बिना 3.01 एकड़ भूमि की खरीद-बिक्री की रजिस्ट्री 27.04.2012 संपादित की गई। इससे शिकायतकर्ता को बाजार भाव के हिसाब से अपूर्णीय क्षति हुई है। जिसके लिए विक्रेता विजय कुमार, शांति बाई गवाह बसंती बाई, शंभू राम एवं क्रेता पुरानी बस्ती कोरबा निवासी पांडेय व उप पंजीयक यादव व पटवारी कुर्रे दोषी हैं।
उपरोक्त व्यक्तियों के विरूद्ध आपराधिक प्रकरण दर्ज किया जाना उचित होगा। जांच रिपोर्ट के आधार पर पुलिस ने आरोपियों के खिलाफ एफआईआर दर्ज कर 7 आरोपियों को गिरफ्तार कर लिया था। जेल की सजा काटने के बाद आरोपियों को जमानत पर छोड़ा गया लेकिन मामला कोर्ट में चले जाने के कारण सुनवाई जारी रहा। इस मामले में पुलिस ने देवरमाल निवासी रंगलाल नामदेव को सह अभियुक्त बनाकर गिरफ्तार कर लिया जबकि उसका नाम जांच रिपोर्ट में नहीं था। बताया जाता है कि पुलिस ने मेमोरेंडम के आधार पर उसे सह अभियुक्त बनाया था। यहां यह बताना जरूरी है कि रंगलाल ने ही मामले की जानकारी शिकायतकर्ता को दी थी। बावजूद इसके उसे सह अभियुक्त बनाया गया। नामदेव ने मामले को कोर्ट में पेश कर पैरवी के लिए अधिवक्ता धनेश सिंह को नियुक्त किया, जिन्होंने उनकी बात मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट कोरबा की अदालत में रखी। मामले की अंतिम सुनवाई करते हुए मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट शीलू सिंह गत 26 अप्रैल को अपना फैसला सुनाया जिसमें रंगलाल को दोषमुक्त कर दिया। साथ ही 8 अन्य आरोपियों को भी आरोपों से बरी करने का आदेश दिया।