Vedant Samachar

पहलगाम पहुंचे NIA के महानिदेशक सदानंद दाते, बायसरन घाटी की 3डी मैपिंग शुरू

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पहलगाम,01मई 2025: जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में 22 अप्रैल को हुए भीषण आतंकी हमले की जांच को तेज करते हुए राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) की एक विशेष टीम गुरुवार को बायसरन घाटी पहुंची। इस हमले में 26 लोगों की नृशंस हत्या की गई थी, जिनमें ज्यादातर पर्यटक थे। एनआईए के महानिदेशक (सदानंद दाते) ने भी घटनास्थल का दौरा किया और जांच की प्रगति का जायजा लिया।

बायसरन घाटी की 3डी मैपिंग

एनआईए की विशेष टीम ने हाईटेक उपकरणों के साथ बायसरन घाटी में 3डी मैपिंग शुरू की है। इसका उद्देश्य आतंकियों के आने-जाने के रास्तों, उनके प्रवेश और निकास बिंदुओं (एंट्री-एग्जिट पॉइंट्स) का सटीक पता लगाना है। सूत्रों के मुताबिक, चश्मदीदों के बयानों के आधार पर यह मैपिंग की जा रही है, ताकि आतंकियों के भागने के रास्तों की सही जानकारी मिल सके। यह तकनीक आतंकियों के हमले के तरीके और उनके ठिकानों का पता लगाने में महत्वपूर्ण साबित हो सकती है।

सात घंटे की गहन जांच

बुधवार को एनआईए की टीम ने बायसरन घाटी में लगभग सात घंटे तक गहन जांच की। इस दौरान जम्मू-कश्मीर पुलिस की बम निष्क्रिय दस्ता (बीडीएस) और फोरेंसिक विशेषज्ञों की टीमें भी मौजूद थीं। एनआईए ने घटनास्थल से साक्ष्य एकत्र किए और आसपास के तीन किलोमीटर के दायरे में तलाशी अभियान चलाया। इस अभियान का मकसद आतंकियों के रास्तों और उनके द्वारा इस्तेमाल किए गए संसाधनों के बारे में सुराग जुटाना था।

घटनास्थल से एकत्र किए गए नमूनों की फोरेंसिक जांच की जाएगी। साथ ही, स्थानीय घोड़ा चालकों, बायसरन में काम करने वाले मजदूरों और अन्य लोगों के बयानों की गहन पड़ताल की जा रही है। मंगलवार को पहलगाम थाने में एनआईए ने 100 से अधिक लोगों के बयान दर्ज किए, जिनमें जिपलाइन ऑपरेटर मुजम्मिल भी शामिल है। मुजम्मिल पर आरोप है कि उसने आतंकियों की गोलीबारी की आवाज सुनने के बाद तीन बार “अल्लाह हू अकबर” कहा और पर्यटकों को वहां से भेज दिया।

22 अप्रैल का भयावह हमला

22 अप्रैल को पहलगाम की बायसरन घाटी में आतंकियों ने पर्यटकों पर ताबड़तोड़ गोलीबारी की, जिसमें 26 लोगों की जान चली गई। मृतकों में ज्यादातर पर्यटक थे, जिनमें दो विदेशी और दो स्थानीय नागरिक शामिल हैं। सेना की वर्दी में आए आतंकियों ने पहले पर्यटकों से उनका धर्म पूछा, उनके परिचय पत्र जांचे और फिर “हिंदू” होने की बात कहकर गोली मार दी। इस हमले में 14 अन्य लोग गंभीर रूप से घायल हुए। यह हमला फरवरी 2019 में हुए पुलवामा हमले के बाद जम्मू-कश्मीर में सबसे बड़ा आतंकी हमला है, जिसमें सीआरपीएफ के 47 जवान शहीद हुए थे।

टीआरएफ ने ली जिम्मेदारी, फिर दी सफाई

इस हमले की जिम्मेदारी शुरू में लश्कर-ए-ताइबा से जुड़े आतंकी संगठन द रेजिस्टेंस फ्रंट (टीआरएफ) ने ली थी। हालांकि, बाद में टीआरएफ ने बयान जारी कर कहा कि उनका इस हमले से कोई संबंध नहीं है। इस विरोधाभास ने जांच को और जटिल बना दिया है, और एनआईए अब इस दावे की सत्यता की जांच कर रही है।

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