County बिल्डर के ठिकाने से 2.50 करोड़ नकद और जेवर मिले, इनकम टैक्स विभाग भी रह गया भौंचक्का

नई दिल्ली,08मार्च 2025 : नोएडा में आयकर विभाग ने काउंटी ग्रुप पर छापेमारी कर टैक्स चोरी और कैश ट्रांजैक्शन की जांच शुरू की. कई ठिकानों पर सर्च ऑपरेशन में जरुरी दस्तावेज जब्त किए गए हैं. छापेमारी में कई साक्ष्य ऐसे मिले हैं जिन्हे देख कर इनकम टैक्स विभाग भी भौचक्का रह गया है.

काउंटी बिल्डर ग्रुप के ठिकानों पर आयकर विभाग की पड़ताल जारी है. विभाग ने बिल्डर ग्रुप के साथ ही इससे जुड़े प्रॉपर्टी एजेंट के ठिकानों पर भी छापा मारा. इसमें एक एजेंट के ठिकाने से करीब 2.50 करोड़ रुपये नकद बरामद हुए. आयकर विभाग ने नकद कब्जे में ले लिया है. वहीं एक ठिकाने से जेवरात भी मिले हैं. जिनकी कीमत का आकलन जारी है. इसके अलावा कुछ एजेंटों के ठिकानों से सैकड़ों करोड़ रुपये की संपत्तियों की बिक्री का ब्योरा भी बरामद हुआ है.

इनकम टैक्स विभाग खंगालेगा ब्यौरा


अब आयकर विभाग इस ब्योरे को खंगालेगा. सूत्रों का दावा है कि आयकर की कार्रवाई में कई ठिकानों से कर चोरी के मजबूत साक्ष्य मिले हैं. काउंटी ग्रुप पर के ठिकानों पर बुधवार सुबह आयकर विभाग की कार्रवाई जारी रही. कार्रवाई विभाग की नोएडा यूनिट की तरफ से की गई है. पूरी तैयारी के साथ हुई इस कार्रवाई में विभाग ने विभिन्न शहरों में बिल्डर ग्रुप के साथ इससे जुड़े प्रॉपर्टी एजेंटों के ठिकानों को भी कवर किया है.

कहां-कहां हुई रेड


कार्रवाई की शुरुआत कोलकाता के दो, गुरुग्राम के दो, गाजियाबाद के पांच, दिल्ली के 4, नोएडा के 12 ठिकानों से हुई थी. इनमें से 6-7 ठिकाने तीसरे दिन जांच पड़ताल के बाद कम हो गए. वहीं कुछ नए ठिकाने बढ़े हैं.

कौन-कौन से प्रोजेक्ट्स में शामिल है काउंटी ग्रुप?


सेक्टर-121: ‘क्लियो काउंटी’

सेक्टर-115: ‘एंबियंस’

सेक्टर-107: ‘ऐस’

सेक्टर-151: ‘शिरजा’ (इसमें काउंटी ग्रुप की हिस्सेदारी है)

कैसे हुआ टैक्स हेराफेरी का खुलासा?


जांच में यह सामने आया कि काउंटी ग्रुप ने इन प्रोजेक्ट्स में फ्लैटों की खरीद-फरोख्त में कैश ट्रांजैक्शन किया, जिससे बड़े पैमाने पर टैक्स चोरी की गई. इसके अलावा, कंपनी ने कोलकाता में कई शेल कंपनियां बनाकर निवेश को डायवर्ट किया.

नोएडा और अन्य मेट्रो शहरों में कई डेवलपर कंपनियों पर टैक्स चोरी और वित्तीय अनियमितताओं के आरोप लगते रहे हैं. काउंटी ग्रुप का मामला भी इसी कड़ी में एक और उदाहरण बनकर सामने आया है.

क्या खरीदारों को हो सकता है नुकसान?


अगर किसी प्रोजेक्ट में वित्तीय गड़बड़ी पाई जाती है, तो ग्राहकों को उनका फ्लैट मिलने में देरी हो सकती है. इसके अलावा, प्रोजेक्ट्स पर कानूनी कार्रवाई होने से निवेशकों को नुकसान उठाना पड़ सकता है.