एसईसीएल के खिलाफ फूटा गुस्सा, मुख्यालय में तालाबंदी कर प्रदर्शन,15 दिन की मोहलत

  • मांग पूरी नहीं हुई तो 16 अप्रैल से सभी खदानों में होगा आंदोलन

बिलासपुर/कोरबा, 01 अप्रैल (वेदांत समाचार) I लंबित विभिन्न मांगों को लेकर एसईसीएल की सभी परियोजनाओं से प्रभावित भूविस्थापित ग्रामीणों के द्वारा आज मंगलवार को बिलासपुर मुख्यालय में जोरदार प्रदर्शन किया गया। यहां ग्रामवासियों ने अपना आक्रोश जमकर जाहिर किया और मेन गेट पर तालाबंदी कर दी। भू विस्थापितों को रोकने के लिए बेरीकेट लगाए गए थे जिनमें भी ग्रामीणों ने अपना गुस्सा उतरा। रैली निकाल कर मुख्यालय गेट पर पहुंचे ग्रामीणों ने करीब 5 घंटे तक अपना प्रदर्शन जारी रखा। इस बीच भू अर्जन के नोडल अधिकारी ने मौके पर पहुंचकर आवेदन/मांगपत्र प्राप्त किया। ऊर्जाधनी भूविस्थापित किसान कल्याण समिति के अध्यक्ष सपुरन कुलदीप ने बताया कि प्रबंधन को 15 दिन का समय दिया गया है। यदि मांगों पर सकारात्मक पहल नहीं होती है तो 16 अप्रैल को सभी खदानों में व्यापक आंदोलन शुरू कर दिया जाएगा।

ग्रामीणों की मांगों पर एक नजर:-

$ केन्द्रीय सरकार द्वारा पारित भूमि अर्जन, पुनर्वासन और पुनर्व्यवस्थापन में उचित प्रतिकर और पारदर्शिता अधिकार अधिनियम के तहत रोजगार और पुनर्वास प्रदान किया जाए।

$- हाईकोर्ट द्वारा दी गयी आदेश का पालन कर 2012 से पूर्व अर्जित भूमि के एवज में छोटे खातेदारों और अर्जन के बाद जन्म लेने वालों को रोजगार दी जाए एवं रैखिक सबंध की अनिवार्यता को समाप्त किया जाए :
केन्द्रीय सरकार द्वारा पारित भूमि अर्जन, पुनर्वासन और पुनर्व्यवस्थापन में उचित प्रतिकर और पारदर्शिता अधिकार (कठिनाइयों को दूर करना) आदेश, 2015 की धारा 2 के अनुसार भू-अर्जन के सभी मामलों में उक्त सभी अनुसूची के उपबंध लागू होंगे जिसका मतलब है कि कोपला धारक क्षेत्र (अर्जन एवं विकास) अधिनियम, 1957 (कोल बेअरिंग एरिया एक्ट) के तहत भी जो भूमि अधिग्रहण की प्रक्रिया हुई है उस पर यह उपबंध लागू होंगे। अतः कोल इण्डिया पालिसी को रद्द कर केन्द्रीय पुनर्वास नीति के तहत रोजगार और पुनर्वास दी जाए ।

$ माननीय उच्च न्यायालय द्वारा जारी आदेश से स्पष्ट है कि 2012 से पूर्व की भूमि अर्जन और अर्जन के बाद जन्म लेने वाले को रोजगार से वंचित नही किया जा सकता है और एसईसीएल द्वारा अब तक ऐसे भूविस्थापितों को रोजगार से वंचित रखा गया है और उनके पूरी जिन्दगी को बर्बाद किया गया है अतः इस अन्यायपूर्ण नियम को शिथिल करके बिना किसी बहाना के रोजगार प्रदान किया जाए ।

$ SECL अपनी टेंडर प्रक्रियाओं में आवश्यक बदलाव के साथ यह सुनिश्चित करे कि इसमें 80% तक स्थानीय भू-विस्थापितों को प्राथमिकता दी जाएगी।

$ भूविस्थापित बेरोजगारों का कौशल उन्नयन और स्वयं सहायता समूहों को प्रशिक्षित कर रोजगार के लिए ज्यादा से ज्यादा अवसर प्रदान करना सुनिश्चित किया जाए।
पुनर्वास नीति में यह बात स्पष्ट है कि विस्थापित परिवारों को प्रशिक्षित कर उनके रोजगार के लिए साधन उपलब्ध कराये जायेंगे, पर SECL में इस बात का पालन नहीं किया जा रहा है जमीन अर्जन के बदले मुआवजा प्रदान करते समय कौशल उन्नयन के नाम पर एक राशि जोडकर प्रदान किया जाता है जो पर्याप्त नहीं है। प्रशिक्षण और संस्थान में रोजगार की पूर्णतः गारंटी के लिए कार्य योजना तैयार किया जाना चाहिए।

$ वन भूमि व शासकीय भूमि पर आश्रित अनुसूचित जनजाति एवं अन्य परंपरागत वन निवासियों के अधिकारों का संरक्षण नहीं हो रहा और अब भी वे उचित प्रतिकर से वंचित है:
वन अधिकार कानून के अंतर्गत वन भूमि में निवासरत समुदाय के अधिकार निहित किए गए है जिसमे निस्तार और आजीविका का अधिकार भी शामिल है। जिन लोगों को वन अधिकार के व्यक्तिगत अधिकार पत्रक (पट्टे) मिले है उनका उचित प्रतिकर आज भी लोगों को नहीं मिला है। इसका एक कारण यह भी है कि वन अधिकार के पट्टों के अनुसार रिकॉर्ड ऑफ़ राइट्स दुरुस्त नहीं किया गया है। साथ ही जिन लोगों ने वन अधिकार कानून के तहत दावा प्रक्रिया नहीं कर पाए है उन्हें कम से कम उनके जंगल से जुड़े पारंपरिक निस्तार का प्रतिकर मिलना चाहिए क्योंकि वन आश्रित समुदाय की आजीविका का एक महत्वपूर्ण स्त्रोत वन संसाधनों से आता है।

$ एक कंपनी एक नियम के तहत एस ई सी एल के सभी क्षेत्रों में बसाहट राशि (विस्थापन लाभ), सहित सभी सुविधाएँ समान रूप से प्रदान किया जाये :
एस ई सी एल की मेगा प्रोजेक्ट गेवरा, दीपका और कुसमुंडा में बसाहट के एवज में राशि 10 लाख एवं प्रोत्साहन राशि 5 लाख रूपये किया गया है तथा भूविस्थापितों के लिए अनेक जनहितकारी योजना शुरू किया गया है किन्तु अन्य क्षेत्रों में इसे लागू नहीं की जा रही है जो पूर्णतः अन्याय है। अतः मांग है कि एस ई सी एल के सभी क्षेत्र में बसाहट के एवज में राशि को और बढ़ोत्तरी कर 25 लाख रूपये एवं ठेका कार्यों में भूविस्थापितों के लिए (PAP) 5 लाख से बढाकर 20 लाख रूपये की स्कीम शुरू किया जाए।

$. अर्जित होने वाले ग्रामो के मकान व अन्य परिसम्पतियों के मुआवजा में कटौती बंद कर केन्द्रीय मूल्यांकन बोर्ड के मार्गदर्शिका का पालन किया जाए :

$. पुनर्वास ग्रामो और प्रत्यक्ष प्रभावित ग्रामो में शिक्षा, स्वास्थ, रोजगार के साथ बुनयादी सुविधाओं में विस्तार किया जाए :
पुनर्वास ग्रामो में एक बार विकास कार्य पूरा कर बसाहट देने की प्रक्रिया के बाद राज्य शासन के माध्यम से विकास कार्य के लिए छोड़ दिया जाता है। ऐसे पुनर्वास ग्रामो सहित खनन क्षेत्र के कारण प्रत्यक्ष प्रभावित ग्रामो में सीएसआर अथवा जिला खनिज न्यास निधि के माध्यम से शिक्षा, स्वास्थ, रोजगार के साथ बुनयादी सुविधाओं में विस्तार करने की आवश्यकता है। इसमें प्रधानमंत्री आवास योजना के लाभ से वंचित होने वाले प्रभावितों को मकान बनाने के लिए अनुदान देने पर भी विचार करना चाहिए। भूविस्थापितों के लिए विभागीय अस्पतालों में मुफ्त चिकित्सा व् स्कुलो में शिक्षा की व्यवस्था किया जाए ।

$. SECL की सभी खदानों की बैकफिलिंग और माइन क्लोसर प्लान की स्थिति का विश्लेषण होना चाहिए:

$ हैवी ब्लास्टिंग के कारण ग्रामीणों की जान माल को खतरा, स्वास्थ एवं पर्यावरण पर दुषित प्रभाव

खदानों में कोयला उत्खनन के लिए हैवी ब्लास्टिंग कर ग्रामीणों की जान माल स्वास्थ और पर्यावरण को गंभीर रूप से खतरे में डाला जा रहा है। रोजगार, पुनर्वास और मुआवजा का निपटारा किये बैगैर जोर जबरदस्ती विस्थापन कराया जा रहा है यही नहीं विस्थापन से पूर्व गाँव के रहवासी क्षेत्र में खदान विस्तार किया जा रहा है इस पर रोक लगायी जाये।

$. परियोजना स्तर पर पुनर्वासन और पुनर्व्यवस्थापन समिति का गठन करने की आवश्यकताः
भूमि अर्जन, पुनर्वासन और पुनर्व्यवस्थापन में उचित प्रतिकर और पारदर्शिता का अधिकार अधिनियम, 2013 की धारा 45 के अंतर्गत बड़ी परियोजनाओं के लिए विस्थापितों के पुनर्वासन और पुनर्व्यवस्थापन योजना के कार्यान्वयन की प्रगति और उसकी मॉनिटरिंग एवं समीक्षा के लिए परियोजना स्तर पर पुनर्वासन और पुनर्व्यवस्थापन समिति बनाने के संबंध में प्रावधान है और इसमें कौन सदस्य हो सकते है इसका भी पूर्ण विवरण है। जहां विश्व के सबसे बड़े खदानों में शामिल होने वाली एसईसीएल की खदाने है तो ऐसे में अब तक यहाँ परियोजना आधारित पुनर्वास समिति बनाए जाने की दिशा में कोई कार्य नहीं हुआ है। इस पर ध्यान देने की आवश्यकता है ताकि अलग-अलग परियोजनाओं में पुनर्व्यवस्थापन की समस्याओं पर चल रहे संघर्षों को पुनर्वास समिति में अपने मुद्दे स्पष्ट करने का अवसर मिल सके और समस्याओं का अविलम्ब निराकरण किया जा सके

$. एस ई सी एल के खदानों में कार्यरत ठेका कामगारों की सामाजिक सुरक्षा और बुनयादी सुविधाओं का पालन करायी जाये।