Vedant Samachar

मेक इन इंडिया में स्किल और एम्प्लॉयमेंट का बड़ा रोल

Lalima Shukla
3 Min Read

मेक इन इंडिया में स्किल और एम्प्लॉयमेंट का बड़ा रोल
‘मेक इन इंडिया’ ने 10 साल पूरे कर लिए हैं। मेक इन इंडिया का मंत्र प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 15 अगस्त 2014 को लाल किले के प्राचीर से दिया था, जिससे भारत को महत्वपूर्ण निवेश, मैन्युफैक्चरिंग, स्ट्रक्चर तथा नए प्रयोगों के ग्लोबल हब के रूप में बदला जा सके।


इसके लिए अदाणी समूह ने सिंगापुर के आईटीई एजुकेशन सर्विसेज (आईटीईईएस) के साथ पार्टनरशिप की है। इसका उद्देश्य ग्रीन एनर्जी, मैन्युफैक्चरिंग, हाई-टेक, प्रोजेक्ट एक्सीलेंस और इंडस्ट्रियल डिजाइन जैसे क्षेत्रों के लिए एक स्किल्ड टैलेंट पूल तैयार करना है। इस लक्ष्य को पूरा करने के लिए, अदाणी समूह लगभग 2 हजार करोड़ रुपए का सहयोग देकर अंतरराष्ट्रीय मानकों के अनुरूप एक्सीलेंस हब स्थापित करेगा। इन्हें अदाणी ग्लोबल स्किल्स एकेडमी के रुप में जाना जाएगा। यहां टेक्निकल और वोकेशनल एजुकेशन बैकग्राउंड के युवाओं को इंडस्ट्री की मांग और उनके करियर की जरुरत के अनुसार प्रशिक्षित किया जाएगा। इस प्रोग्राम के पहले फेज में, टेक्निकल ट्रेनिंग के लिए गुजरात के मुंद्रा में दुनिया का सबसे बड़ा फिनिशिंग स्कूल स्थापित किया जाएगा। यहां हर साल 25 हजार से ज्यादा छात्रों को इंडस्ट्री और सर्विस सेक्टर की विभिन्न भूमिकाओं के लिए प्रशिक्षित किया जाएगा।


मेक इन इंडिया का 10 सालों का प्रभाव
भारत ने 2014 से 2024 तक 667.4 अरब अमेरिकी डॉलर का क्यूमूलेटिव फ्लो आकर्षित किया है, जो पिछले एक दशक (2004-14) की तुलना में 119% की वृद्धि को दर्शाता है। पिछले एक दशक में मैन्युफैक्चरिंग क्षेत्र में एफडीआई इक्विटी 165.1 अरब अमेरिकी डॉलर तक पहुंच गया है, जो पिछले एक दशक (2004-14) की तुलना में 69% ज्यादा है, जिसमें 97.7 अरब अमेरिकी डॉलर का फ्लो देखा गया था।


भारत में स्किल डेवलेंपमेंट की जरुरत
भारत कि वर्तमान साक्षरता दर लगभग 70% है, जो कि कुछ सबसे कम विकसित देशों से भी कम है, और जब रोजगार की बात आती है, तो उनमें से केवल 20% ही रोजगार के योग्य हैं। साक्षरता केवल शिक्षा तक ही सीमित नहीं है, बल्कि स्किल की अवधारणा भी इसमें शामिल है, जिसमें तकनीकी विशेषज्ञता, व्यावसायिक कौशल, डिजिटल कौशल और रोजगार और आजीविका के लिए आवश्यक अन्य ऐसे ज्ञान और क्षमताएं शामिल हैं। एक सर्वे के अनुसार, केवल 25% भारतीय कार्यबल ने ही कौशल विकास कार्यक्रम में भाग लिया है, और भारत को अधिक संख्या में स्किल फोर्स की आवश्यकता है। स्किल अधिक महत्वपूर्ण परिणामों के लिए उत्पादकता और कार्य की गुणवत्ता को बढ़ाता है। वर्ल्ड ट्रेड ऑर्गेनाइजेशन के अनुसार, यदि भारत कौशल विकास और प्रशिक्षण पर ध्यान केंद्रित करता है, तो 2035 में जीडीपी 3-5% तक बढ़ सकती है। देश के समग्र विकास के लिए युवाओं को प्रशिक्षित और स्किल करने की देश को बहुत ज़रूरत है।

Share This Article